
द्वि-अंकीय प्रणाली
यह
कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली हैं जिसके द्वारा ही हम कंप्यूटर से बात करते
है. इस प्रणाली के अन्तर्गत आंकड़ों को मुख्य रूप से केवल दो अंकों के संयोजन द्वारा
दर्शाया जाता है । ये दो अंक उपरोक्त ‘0’ तथा ‘1’ होते हैं परन्तु इस प्रणाली को द्वि-अंकीय
या द्वि-आधारी पद्धति का नाम इसलिये दिया गया है क्योंकि इसमें विभिन्न आंकड़ों के
कूट संकेत उस दी गई संख्या को दो से लगातार
विभाजन
के पश्चात प्राप्त परिणामों एवं शेषफल के आधार पर किया जाता है एवं इस कूट संकेत से
पुनः दशमलव अंक प्राप्त करने पर इस कूट संकेत के अंकों को उसके स्थानीय मूल्य के बराबर
2 की घात निकालकर गुणा करते हैं एवं इनका योग फल निकाल कर ज्ञात किया जाता है । इस
प्रणाली में बने हुए एक शब्द में प्रत्येक अक्षर को एक बिट कहा जाता है ।
011001 यह एक 6 बिट की संख्या है ।
11010010 यह एक 8 बिट की संख्या है ।
इस प्रणाली में उपयोग किये जाने वाले विभिन्न अंकों का आधार 8 होता है इन्ही कारणों
से इस प्रणाली को ओक्टल प्रणाली के नाम से जाना जाता है । दूसरे शब्दों में इस प्रणाली
में केवल 8 चिन्ह या अंक ही उपयोग किये जाते हैं – 0,1,2,3,4,5,6,7 (इसमें दशमलव प्रणाली
की भांति 8 एवं 9 के अंकों का प्रयोग नहीं किया जाता) यहाँ सबसे बड़ा अंक 7 होता है
(जो कि आधार से एक कम है) एवं एक ऑक्टल संख्या में प्रत्येक स्थिति 8 के आधार पर एक
घात को प्रदर्शित करती हैं । यह घात ऑक्टल संख्या की स्थिति के अनुसार होती है । चूँकि
इस प्रणाली में कुल “0” से लेकर “7” तक की संख्याओं को अर्थात 8 अंकों को प्रदर्शित
करना होता है ।कम्प्यूटर को प्रषित करते समय इस ऑक्टल प्रणाली के शब्दों को बाइनरी
समतुल्य कूट संकेतों में परिवर्तित कर लिया जाता है । जिससे कि कम्प्यूटर को संगणना
हेतु द्वि-अंकीय आंकड़े मिलते हैं एवं समंक निरूपण इस ऑक्टल प्रणाली में किया जाता
है जिससे कि समंक निरुपण क्रिया सरल एवं छोटी हो जाती है ।
011001 यह एक 6 बिट की संख्या है ।
11010010 यह एक 8 बिट की संख्या है ।